संकट में अन्नदाता : सोनभद्र में बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, ओले गिरने से फसलों को नुकसान
दक्षिणांचल में एक बार फिर बारिश के साथ ओले गिरे। इससे किसानों की बची-खुची उम्मीदों पर भी पानी फिर गया। बारिश के साथ ओले पड़ने से दलहनी और तिलहनी के किसानों की भारी क्षति हुई है। खेत में खड़ी अरहर, चना, मसूर, सरसों की फसलों को अधिक नुकसान पहुंचा है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।
दक्षिणांचल में एक बार फिर मौसम ने करवट लिया। दोपहर 2:30 बजे बभनी व सागोबांध इलाके में हल्की बूंदाबादी शुरु हुई। देखते ही देखते बूंदाबांदी तेज हो गई और लगभग आधे घंटे तक खूब बारिश हुई। इसी के साथ 10 मिनट तक ओले भी गिरे। ओले गिरने के बाद भी शाम पांच बजे तक बूंदाबांदी का सिलसिला जारी रहा। पांच बजे के बाद मौसम खुला। बारिश और ओले से किसानों की बची उम्मीदों पर भी पानी फिर गया।
क्षेत्रीय किसान जय सिंह, धर्मजीत, सुरेश, बिहारी, दीनदयाल, राजकुमार, रत्नेश आदि ने बताया कि उनकी सरसों, अरहर, चना की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। उन्होंने बताया कि कई बार ओला गिरने से बची-खुची फसल भी बर्बाद हो गई। उन्होंने बताया कि अब तो लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है। उन्होंने इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए क्षतिग्रस्त फसलों का आंकलन कराकर मुआवजा दिलाए जाने की मांग की है। दुद्धी में भी गुरुवार की शाम चार बजे किसानों के लिए आफत की बारिश शुरु हो गई। नगर व आसपास के क्षेत्रों में गरज चमक के साथ एक घण्टे जोरदार बारिश हुई।
बेमौसम बरसात से जहां किसान चिंतित और काफी परेशान हो गए हैं वहीं उनके चेहरे पर काफी निराशा देखने को मिल रही है। किसानों का कहना है कि ओले पड़ने से जो बची-खुची फसलें हैं वह भी बर्बाद हो रही हैं। किसान बिरजू, रामफल और कुल्लू आदि किसानों ने कहा कि अरहर इन दिनों फूल ले रहा है। अगर इसी तरीके से बरसात होता रहा और ओले पड़ते रहे तो खेतों की पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी, किसानों का सारा मेहनत धरा का धरा रह जाएगा।
ओबरा प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र में गुरुवार की शाम पांच बजे अचानक मौसम ने करवट लिया और बारिश शुरु हो गई। लगभग आधे घंटे तक बारिश होने से लोगों ने एक बार फिर ठंड का एहसास किया। बारिश के कारण ठंड बढ़ गई और शाम होते ही एक बार फिर लोगों को गर्म कपड़ों में देखा गया।